This century old book tells about necessity of organization of Hindus. Author explained illustratively the need for Hindu unity way back in 1926. If the Hindus would have followed his advice at that time there would have been no partition of India in 1947. Ignorance and apathy of Hindus failed us totally. Coming full circle after lapse of almost a century we are confronted with the similar problems once again. This time we can not afford to remain complacent. Thoughts of the author are more relevant now than before. Book shows the path to achieve this goal.
यह 100 वर्ष पुरानी पुस्तक हिंदुओं के संगठन की आवश्यकता के बारे में बताती है। लेखक ने 1926 में हिंदू एकता रास्ते की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया था। यदि उस समय हिंदुओं ने उनकी सलाह का पालन किया होता तो 1947 में भारत का विभाजन नहीं होता। हिंदुओं की उपेक्षा और उदासीनता ने हमें पूरी तरह से विफल कर दिया। लगभग एक सदी का समय चक्र पूरा होने के बाद एक बार फिर हम उसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस बार हम चुप नहीं रह सकते। पहले की तुलना में लेखक के विचार अब अधिक प्रासंगिक हैं। पुस्तक हिन्दुओं को संगठित होने का मार्ग दिखाती है।
Original Book
First Print Year : 1926
Print Price : INR 0.00